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जीवन शैली से संबधित रोग और योग से इनका उपचार

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 जीवन शैली से सम्बंधित रोग  वह रोग जो हमारी जीवन शैली से जुड़े हो उन रोगों को जीवन शैली से सम्बन्धित रोग कहा जाता है ! यह रोग वस्तुतः गैर संचारी होते हैं जो एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य को नही होते ! यह रोग हैं - मधुमेह , मोटापा , गठिया , अल्झाइमर रोग ,अस्थमा , जिगर संबंधी रोग , कैंसर अदि ! यह रोग आमतौर पर शारीरिक गतिविधिओं की कमी , अस्वस्थकर भोजन , शराब के सेवन , ड्रग्स एवम धुम्रपान के प्रयोग से होते हैं ! पिछले कुछ वर्षो से इन बिमारियों में बहुत ज्यादा बढोत्तरी देखी गयी है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त की है ! प्रोद्योगिकी का  विस्तार भी इस का एक कारण है !  योग के अभ्यास से इन रोगों से बचाव  नियमित योगाभ्यास से जीवनशैली से जुड़े रोगों से बचाव किया जा सकता है ! योग गुरुओं तथा प्रशिक्षिकों ने भी नियमित योगाभ्यास को बहुत लाब्दायक बताया है !  आज हम इन्ही रोगों एवम योग द्वारा इनके उपचार के बारे में चर्चा करेंगे ! मोटापा : आज के समय में मोटापा एक ऐसी समस्या है जिससे अधिकतर देश जूझ रहे हैं ! शारीर में नियमित सीमा से अधिक वसा हो जाने के कारण मोटापा होता है ! इस बीमारी

योग द्वारा कोविद (covid ) से बचाव

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कोविद के दौरान योग का महत्व    कोरोना वायरस, वायरस का एक बड़ा परिवार है जो साधारण सर्दी जुखाम से लेकर गंभीर श्वसन प्रणाली से संभंधित बीमारियो का कारण बनता है ! पिछले वर्ष ही चीन के वुहान शहर में नए कोरोना वायरस की पहचान हुई थी ! इस तरह का वायरस कभी भी मनुष्यों में नहीं पाया गया था ! इस वायरस को कोविद १९ (covid-19) नाम दिया गया !  जैसा की हम सब जानते हैं की कोविद प्रतक्ष्य रूप से हमारी रोग प्रतिरोग शक्ति को चोट पहुंचाता है ! इस रोग से तथा योग द्वारा इससे बचने के कुछ उपाय बताये गए हैं  जिनके बारे में हम आज बात करेंगे ! प्राणायाम :   रोग प्रतिरोग क्षमता को बढाने में एवम श्वसन प्रणाली को मज़बूत बनाये रखने में प्राणायाम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ! निम्नलिखित कुछ प्राणायाम इसे बनाये रखने में सहायक हैं : अनुलोम विलोम : अनुलोम शब्द का अर्थ है सीधा और विलोम शब्द का अर्थ है उल्टा ! इसी प्रकार इस प्राणायाम का अभ्यास एक नासिका छिद्र से सांस अंदर और दुसरे नासिका छिद्र से बाहर छोड़ी जाती है ! इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है! कपाल भाती प्राणायाम :   कपाल भाती दो संस्कृत शब्दों के

वज्रासन लाभ

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  वज्रासन:                                                                               वज्रासन समस्त आसनों में से एक ऐसा आसन है जिसे भोजन के उपरान्त भी किया जा सकता है! वज्रासन का शाब्दिक अर्थ है बलवान स्थिति! वज्रासन एक ऐसा आसन है जिसे सभी उम्र के व्यक्ति सुलभता से कर सकते हैं ! यह आसन दिन के किसी भी समय किया जा सकता है ! वज्रासन को पाचन तंत्र के लिए अति लाभदायक मन गया है तथा यह आसन सनायु शक्ति भी प्रदान करता है ! इस आसन को अंग्रेजी में Diamond Pose भी कहा जाता है! विधि :   समतल ज़मीन पर आसन पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ  दोनों पैरों को सामने की ओर फैला लें  धीरे धीरे दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एडियो पे बैठ जाएँ  मेरुधंड को सीधा रखें  दोनों हाथों को बिना मोड़े घुटनों पे रखें  आँखों को बंद रखें जिससे आपकी एकाग्रता बनी रहे  धीरे धीरे सांस अंदर लें और बाहर छोड़े  इस स्थिति को थोड़े समय के लिए बनाये रखें  प्रतिदिन अभ्यास करके इस अवधि को बढ़ाते रहे  वज्रासन के लाभ :   शरीर को सुन्दर एवम सुडौल बनाने में यह आसन अति लाभदायक है  वज्रासन के नियमित अभ्यास करने से शरीर का पाचन तंत्र स्वस्थ रह

पदमासन -विधि एवम लाभ

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पदमासन की परिभाषा : पदम् शब्द का अर्थ है कमल। पदमासन का अभ्यास करने में हमारे पैरों का आकार एक कमल के फूल की तरह हो जाता है इसीलिए इस आसन को पदमासन कहा जाता है। इस आसन को ध्यान का अभ्यास करने में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पदमासन करने की विधि :  समतल ज़मीन पर पैरों को फैला कर आराम से बैठ जाएँ  दायें पैर को धीरे से बायें पैर की जांघ पर रखें  बायें पैर को आराम से दायें पैर की जांघ पर रखें  दोनों पैरों की सहायता से पेट के निचले हिस्से पर दबाव बनाएं  हाथों को घुटनों के ऊपर रखें  पीठ को सीधा रखें  धीरे धीरे सांस अंदर और बाहर छोडें  आँखों को बंद रखें  इसी अवस्था में थोड़ी देर बैठें रहें   इस आसन की अवधि को अपने अनुसार बढ़ाते रहें  धीरे धीरे अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाएँ  पदमासन के लाभ : पदमासन को ध्यान का अभ्यास करने में सर्वश्रेष्ठ आसन माना गया है  इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने पर रक्त प्रवाह में सरलता आती है  पदमासन का अभ्यास करने से रक्तचाप को निंत्रित करने में सहायता मिलती है  इस आसन का अभ्यास करने से मस्तिष्क में शांति की अनुभूति होती है  यह आसन रीढ़ की हड्डियों को मज़बूत बनाने में स

सुखासन - विधि एवम लाभ

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 योग गुरुओ एवं शिक्षिकों ने  मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण के बारे में बात की है। उन्होंने दावा किया है कि  योग के अभ्यास से  इन्हें  प्राप्त किया जा सकता है । यदि यह योग को सुनने का आपका पहला अवसर है, तो आप निश्चित रूप से आश्चर्यचकित होंगे कि ये अभ्यास कैसे किए जाते हैं और यह कैसा दिखता है। यदि आप योग अभ्यास की शुरुआत कर रहे है तो आप यह भी निश्चित रूप से पूछेंगे कि आपके लिए किस तरह की स्थिति सबसे अच्छी होगी। आज हम योग अभ्यास के शुरुआती आसनों में से एक सुखासन  के बारे में जानेंगे : सुखासन : सुखासन दो शब्दों का मेल है सुख और आसन। यहाँ सुखासन का अर्थ है सुख देने वाला आसन। विधि :           सबसे पहले समतल ज़मीन पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाये।                     दोनों पैरों को ज़मीन पे फैला दें ।                   दायें  पैर को बाई जांघ के नीचे  और बाए पैर को दाई जांघ के नीचे रखे ।                          अपनी पीठ को सीधा रखें ।                         हाथों को घुटनों पे रखें ।                         आखें बंद कर लें ।  लाभ :           नियमित सुखासन के अभ्यास से मानसिक तनाव को दूर किया जा स

योग सीखने से पहले बताये जाने वाले बिंदु

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एक बार जब आप बेहतर जीवन और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास करने का निर्णय लेते हैं, तो आपको निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आपके शारीरिक को चोटों से बचाया जा सके। आमतौर पर, यह कहा जाता है कि सामान्य स्वास्थ्य वाले लोगों को  योग अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं होती। यह अवधारणा बिलकुल सही नहीं है।   लेकिन अगर आप कुछ शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे  हैं और इसे ठीक करने के लिए योग का अभ्यास  कर रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए क्योंकि बिना उचित सावधानी के योग अभ्यास करने से शरीर पर प्रतिकूल  प्रभाव पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि हृदय, फेफड़े, गुर्दे , नाड़ियाँ आदि जैसे आंतरिक अंग शामिल हैं और यदि आप ठीक से योग का अभ्यास नहीं करते हैं तो इससे आपको शारीरिक नुकसान हो सकता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप विशेषज्ञ मार्गदर्शन में योग तकनीकों का पालन करें।  सही सलाह योग तकनीकों को सिखाने के लिए उचित प्रशिक्षक प्राप्त करना आपके लिए अनिवार्य  है। आमतौर पर, जो लोग योग शिक्षक के पेशे को चुनते हैं, वे योग अभ्यास के पीछे के वैज्ञानिक आधार को नहीं समझते ह