सुखासन - विधि एवम लाभ

 योग गुरुओ एवं शिक्षिकों ने  मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण के बारे में बात की है। उन्होंने दावा किया है कि  योग के अभ्यास से  इन्हें  प्राप्त किया जा सकता है ।

यदि यह योग को सुनने का आपका पहला अवसर है, तो आप निश्चित रूप से आश्चर्यचकित होंगे कि ये अभ्यास कैसे किए जाते हैं और यह कैसा दिखता है। यदि आप योग अभ्यास की शुरुआत कर रहे है तो आप यह भी निश्चित रूप से पूछेंगे कि आपके लिए किस तरह की स्थिति सबसे अच्छी होगी।

आज हम योग अभ्यास के शुरुआती आसनों में से एक सुखासन  के बारे में जानेंगे :



सुखासन : सुखासन दो शब्दों का मेल है सुख और आसन। यहाँ सुखासन का अर्थ है सुख देने वाला आसन।

विधि :        सबसे पहले समतल ज़मीन पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाये।

                दोनों पैरों को ज़मीन पे फैला दें

               दायें  पैर को बाई जांघ के नीचे  और बाए पैर को दाई जांघ के नीचे रखे। 

                    अपनी पीठ को सीधा रखें

                    हाथों को घुटनों पे रखें

                    आखें बंद कर लें। 

लाभ :        नियमित सुखासन के अभ्यास से मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है।

                  रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में यह आसन अत्यधिक लाभदायक है

                   यह आसन एकाग्रता बढाने में सहायक है

                   मस्तिष्क को शांत रखने में यह आसन सहायक है





   

                        

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वज्रासन लाभ

जीवन शैली से संबधित रोग और योग से इनका उपचार